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26/11 का वो राज़ जो पाकिस्तान दुनिया से छुपाना चाहता है: तहव्वुर राणा अब भारत की गिरफ्त में

Tahawwur Rana with Taj Mahal Palace Hotel in the background, linked to 2008 Mumbai attacks

तहव्वुर राणा: कई चेहरों वाला एक आतंकी

तहव्वुर राणा पाकिस्तान में पैदा हुआ, सेना में डॉक्टर रहा, फिर कनाडा की नागरिकता लेकर अमेरिका जा बसा। शिकागो में ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमीग्रेशन सर्विसेज’ नाम से एक कंपनी चला रहा था लेकिन असल में वो कंपनी लश्कर-ए-तैयबा के लिए जासूसी का अड्डा थी।

उसका सबसे नज़दीकी साथी था डेविड कोलमैन हेडली वही आदमी जिसने मुंबई की सड़कों, होटलों और सार्वजनिक स्थलों की रेकी की, जिससे 26/11 के हमलों की योजना बनी। राणा को सब पता था, वो शामिल था, और उसने अपना अमेरिकी वीजा, नागरिकता और व्यापार सब कुछ आतंक की सेवा में लगाया।


कानून की आड़ में खेला गया चालबाज़ी का खेल

2009 में अमेरिका में पकड़ा गया। 2011 में कोर्ट ने लश्कर को समर्थन देने और डेनमार्क में हमले की साजिश में दोषी माना लेकिन मुंबई हमलों के आरोपों से बच गया। ये अमेरिका के सिस्टम की एक चूक थी, लेकिन भारत ने इसे भूलने नहीं दिया।

2020 में भारत ने प्रत्यर्पण की मांग की। अमेरिका ने ‘रूल ऑफ स्पेशलिटी’ के तहत शर्त रखी कि वही मुकदमे चलेंगे जो अमेरिका में नहीं चले थे। भारत ने नया केस पेश किया राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश, आतंकवाद और हत्या के नए सबूतों के साथ।

2025 आते-आते तमाम अपीलों और झूठे बहानों के बाद, आखिरकार राणा को भारत भेजा गया हथकड़ियों में, भारी सुरक्षा में, और अब सीधे अदालत के कटघरे में।


अमेरिका को इससे क्या मिला?

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका को राणा से LeT की कार्यप्रणाली, पाकिस्तान में ISI के संदिग्ध संबंध और आतंकवादी नेटवर्क की अंदरूनी जानकारी मिली। उसने खुद को बचाने के लिए अमेरिकी एजेंसियों को सब कुछ बताया यही वजह रही कि उसे कोरोना के दौरान जेल से बाहर निकाला गया।

उसने बताया कि कैसे पाकिस्तानी एजेंसियाँ जानबूझकर अनदेखी कर रही थीं और कैसे आतंकवाद को छिपाने के लिए बिज़नेस का इस्तेमाल हो रहा था।


पाकिस्तान की चुप्पी: डर का दूसरा नाम

भारत और अमेरिका जहाँ इस प्रत्यर्पण को न्याय की जीत मान रहे हैं, वहीं पाकिस्तान अचानक खामोश हो गया। आधिकारिक बयान में कहा गया कि राणा का पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं रहा क्योंकि उसने पासपोर्ट रिन्यू नहीं कराया।

लेकिन अंदर की बात कुछ और है अमेरिकी दस्तावेज़ बताते हैं कि पाकिस्तानी दूतावासों को केस पर “नज़र रखने” के आदेश दिए गए थे। उन्हें डर था कि राणा की गवाही और भारत में चलने वाला मुकदमा उन चेहरों को बेनकाब कर देगा जो अब तक पाकिस्तानी सत्ता में छिपे बैठे हैं।

पाकिस्तान खुद को इस आतंकी से अलग दिखाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत की खुफिया एजेंसियाँ और जनता दोनों उसकी इस नौटंकी को पहचानते हैं।


अब क्या होगा?

राणा पर अब भारत की अदालत में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों, आतंकी साजिश और हत्या जैसे संगीन आरोप तय होंगे। सज़ा उम्रकैद से लेकर फांसी तक कुछ भी हो सकती है।

लेकिन असली बात ये है कि अब वो चुप्पी टूटेगी जो 26/11 के बाद पाकिस्तान ने ओढ़ रखी थी। अब वो नाम सामने आ सकते हैं जिन्हें अब तक बचाया जा रहा था।

दुनिया देख रही है।
भारत तैयार है।
और पाकिस्तान बेचैन, खामोश और डरा हुआ है।

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