राजस्थान के ब्यावर और अजमेर में हाल ही में सामने आए ‘लव जिहाद’ और जबरन धर्मांतरण के मामलों ने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि राज्यभर में गहरी चिंता, आक्रोश और बहस का माहौल पैदा कर दिया है। इन घटनाओं में मुख्य रूप से मुस्लिम युवकों के एक संगठित गिरोह पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग हिंदू छात्राओं को सोशल मीडिया के जरिए प्रेमजाल में फंसाया और फिर उनका मानसिक, शारीरिक और धार्मिक शोषण किया। पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनमें कुछ नाबालिग भी शामिल हैं।
प्रमुख घटनाक्रम और तरीक़े:
सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क:
आरोपियों द्वारा इंस्टाग्राम जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर स्कूली छात्राओं से संपर्क साधा जाता था। वे पहले दोस्ती करते, फिर भावनात्मक संबंध बनाते और धीरे-धीरे उन्हें अपने जाल में फंसा लेते थे।
ब्लैकमेलिंग और धमकी:
जब लड़कियां इनसे घुल-मिल जातीं, तो आरोपित युवक उनकी तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड कर लेते। इसके बाद उन्हें ब्लैकमेल किया जाता, और इस धमकी के साथ कि अगर उन्होंने विरोध किया या किसी को बताया, तो उनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए जाएंगे। इतना ही नहीं, पीड़िताओं पर दबाव डाला जाता कि वे अपनी सहेलियों को भी इस जाल में फंसाएं।
धार्मिक दबाव और पहचान छिपाना:
आरोप है कि इन मामलों में लड़कियों पर रोजा रखने, कलमा पढ़ने और बुर्का पहनने का दबाव बनाया गया। कुछ मामलों में आरोपी अपनी असली पहचान छुपाकर खुद को हिंदू नामों से प्रस्तुत करते थे, ताकि लड़कियों को शक न हो।
आर्थिक पहलू:
एक पीड़िता ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया कि आरोपियों ने उसे बताया कि अगर कोई ब्राह्मण लड़की फंसाई जाती है, तो उन्हें 20 लाख रुपये मिलते हैं, जबकि अन्य जातियों की लड़कियों के लिए 10 लाख रुपये तक का ‘इनाम’ तय होता है। इससे यह संकेत मिलता है कि यह एक सुनियोजित और संगठित गिरोह की करतूत हो सकती है, जिसमें धर्मांतरण के पीछे आर्थिक प्रलोभन और नेटवर्क शामिल हो सकता है।
पुलिस कार्रवाई:
राज्य पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तेज़ी से कार्रवाई की है। कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस साइबर सेल को भी मामले में लगाया गया है ताकि सोशल मीडिया गतिविधियों की गहराई से जांच की जा सके। नाबालिग आरोपियों को भी पूछताछ में लिया गया है, जिससे यह पता चल सके कि इनके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क तो नहीं है।
विधानसभा अध्यक्ष की प्रतिक्रिया:
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इन घटनाओं को अत्यंत गंभीर और चिंताजनक बताया है। उन्होंने पुलिस और प्रशासन को पहाड़ी इलाकों, गेस्ट हाउसों और अवैध रेस्टोरेंट्स पर कड़ी निगरानी रखने और समय-समय पर छापेमारी करने के निर्देश दिए हैं। देवनानी ने इस बात पर विशेष चिंता जताई है कि अजमेर में पिछले कुछ समय में 200 से 250 बच्चों के लापता होने की घटनाएं दर्ज हुई हैं, जिनमें से अधिकांश लड़कियां हैं। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर विशेष नजर रखें और किसी भी संदिग्ध व्यवहार की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया:
घटनाओं के बाद पूरे राजस्थान में जनआक्रोश का माहौल है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और अन्य हिंदू संगठनों ने ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की है। विहिप के क्षेत्रीय सचिव सुरेश उपाध्याय ने आरोप लगाया कि मुस्लिम युवक संगठित तरीके से हिंदू लड़कियों को फंसा रहे हैं, और इसमें नशीले पदार्थ, मानसिक दबाव और धमकियों का सहारा लिया जा रहा है। इस विषय को लेकर अजमेर में बड़ी संख्या में लोगों ने ‘आक्रोश रैली’ निकाली और सीबीआई जांच की मांग की।
यह पूरा घटनाक्रम एक सामाजिक संकट के रूप में उभर रहा है, जिसमें कानून, समाज और अभिभावकों की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है। जहां प्रशासन को तेज़ और निष्पक्ष कार्रवाई करनी है, वहीं समाज को भी जागरूक रहना होगा कि आने वाली पीढ़ी सुरक्षित और सशक्त रह सके। अभिभावकों, स्कूलों और समुदायों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों को सही मार्गदर्शन मिले और वे किसी भी प्रकार की मानसिक या धार्मिक प्रलोभन का शिकार न हों।
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