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पश्चिम बंगाल में हिंसा और हिंदुओं का विस्थापन: क्या इतिहास खुद को दोहरा रहा है?

हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंसा ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह घटना 11 अप्रैल, 2025 को वक्फ अधिनियम के विरोध के दौरान भड़की और तीन दिनों तक चली। इस दौरान तीन लोगों की मृत्यु हुई, 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, और कई परिवारों को अपनी सुरक्षा की तलाश में मालदा जैसे अन्य जिलों में शरण लेनी पड़ी।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अनुसार, इस हिंसा के कारण लगभग 400 हिंदू परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा। इस प्रकार की घटनाओं ने 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई त्रासदी की यादें ताजा कर दी हैं, जब उन्हें बड़े पैमाने पर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा था। सवाल यह है कि क्या बंगाल की यह घटना उस ऐतिहासिक पीड़ा की पुनरावृत्ति है?

इतिहास की समानताएं और अंतर
कश्मीरी पंडितों को 1990 के दशक में आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाया गया था, जिससे लाखों लोगों को घाटी छोड़नी पड़ी। उन पर लक्षित हत्याएं, धमकियां और डर का माहौल छाया रहा।
वर्तमान में पश्चिम बंगाल की हिंसा में भी कई हिंदू परिवारों को जान-माल के भय के कारण अपना घर छोड़ना पड़ा। उदाहरणस्वरूप, हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास की हिंसा में मौत हो गई, और कई अन्य परिवारों ने पलायन किया।
हालाँकि, कश्मीर की घटना एक संगठित आतंकी अभियान का हिस्सा थी, जबकि बंगाल की हिंसा स्थानीय सामाजिक-राजनीतिक तनावों से प्रेरित प्रतीत होती है। फिर भी, दोनों मामलों में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाए जाने की समानता चिंता का विषय है।

आईएसआईएस और संभावित आतंकी प्रभाव
पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों की गतिविधियों की आशंकाएँ जताई जाती रही हैं। 2016 में आईएसआईएस द्वारा बांग्लादेश प्रांत की घोषणा की गई थी, जिसमें पश्चिम बंगाल को भी लक्षित क्षेत्र माना गया था।
2014 में पश्चिम बंगाल में एक आतंकी मॉड्यूल का खुलासा हुआ था, जिसमें ऐसी साजिशें सामने आईं जो भारत के पूर्वोत्तर हिस्सों को अस्थिर करने की मंशा दिखाती थीं।
हालांकि वर्तमान हिंसा के पीछे सीधे आईएसआईएस की भूमिका की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पहले से मौजूद चेतावनियाँ और क्षेत्रीय अस्थिरता चिंता बढ़ाती हैं।

हाल की घटनाओं में TMC के नेताओं पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने, अवैध प्रवासियों को समर्थन देने और हिंदू समुदाय के खिलाफ बयानबाजी करने के गंभीर आरोप:

अनुब्रत मंडल (TMC नेता)

ये TMC के एक क्षेत्रीय नेता रहे हैं जो अपने आक्रामक भाषणों के लिए अक्सर विवादों में रहे हैं। इन पर चुनावी हिंसा को लेकर जांच भी चल रही है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से “हिंदुओं को मारने” की बात कही हो, इसका कोई अदालत-स्वीकृत प्रमाण फिलहाल सार्वजनिक नहीं है।

फिरहाद हकीम (कोलकाता मेयर)

एक वायरल वीडियो में TMC नेता और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम को ‘सनातन धर्म’ के विनाश की बात करते हुए सुना गया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि जल्द ही पश्चिम बंगाल की 50% आबादी उर्दू बोलेगी

खोकन दास (MLA, बर्दवान दक्षिण)

TMC विधायक खोकन दास ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि केवल वही अवैध बांग्लादेशी प्रवासी जो TMC का समर्थन करते हैं, उन्हें मतदाता सूची में शामिल किया जाए

हुमायूं कबीर (MLA, भरतपुर)

2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, TMC विधायक हुमायूं कबीर ने धमकी दी कि यदि वे जीतते हैं, तो दो घंटे के भीतर हिंदुओं को भागीरथी नदी में फेंक देंगे

लवली खातून (पूर्व ग्राम प्रधान, मालदा)

TMC नेता लवली खातून को बांग्लादेशी प्रवासी होने के आरोप में उनके पद से हटा दिया गया। उन पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का आरोप था ।​

महुआ मोइत्रा (सांसद)

TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने हिंदू धर्म के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करते हुए ‘वानर सेना’ शब्द का प्रयोग किया, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ

हाजी नुरुल इस्लाम (पूर्व सांसद, बसीरहाट)

2010 के देगंगा दंगों में हाजी नुरुल इस्लाम पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा था, जिसके लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी

निष्कर्ष
पश्चिम बंगाल की हालिया हिंसा और हिंदुओं का विस्थापन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम फिर से एक ऐसे दौर की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ धार्मिक समुदायों को डर और असुरक्षा के बीच जीना पड़ता है। चाहे हिंसा का पैमाना कश्मीर जैसा न भी हो, यह घटनाक्रम समाज में गहराते विभाजन और असहिष्णुता की खतरनाक चेतावनी है, जिससे निपटने के लिए ठोस और समावेशी प्रयासों की जरूरत है।

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