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जानिए! हनुमान जी और लव-कुश के बीच शास्त्रार्थ कब और कैसे हुआ था?

जब भी हम हनुमान जी का नाम सुनते हैं, तो हमारे मन में उनकी वीरता, शक्ति और श्रीराम के प्रति उनकी अपार भक्ति की छवि उभरती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी केवल बलवान योद्धा ही नहीं, बल्कि एक महान विद्वान भी थे? जी हाँ! एक ऐसी कथा है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं और यह कथा हनुमान जी के बुद्धि, ज्ञान और शास्त्रों में गहन पकड़ को उजागर करती है।

यह घटना श्रीराम के अयोध्या लौटने के बाद की है। उन्होंने एक भव्य अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें एक विशेष घोड़े को मुक्त छोड़ दिया गया। जो राजा उस घोड़े को पकड़ता, वह रामराज्य को चुनौती देता। लेकिन उस घोड़े को रोका दो ऐसे बालकों ने, जिनकी पहचान अयोध्या को भी नहीं थी लव और कुश, श्रीराम और सीता के पुत्र। वे उस समय वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में रह रहे थे, और अपने पिता की पहचान से अनजान थे। उन्होंने न केवल घोड़े को रोका, बल्कि अयोध्या के प्रमुख योद्धाओं  लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न तक को पराजित कर दिया। पूरा अयोध्या चौंक गया।

अब हनुमान जी को भेजा गया। सबको लगा कि अब ये दो बालक ज्यादा देर नहीं टिकेंगे। लेकिन हनुमान जी ने युद्ध नहीं किया। उन्होंने देखा कि ये दोनों बालक साधारण नहीं हैं। फिर उन्होंने जो किया, वो किसी ने सोचा भी नहीं था। हनुमान जी ने लव और कुश को शास्त्रार्थ (धार्मिक व तात्त्विक बहस) की चुनौती दी। और तब शुरू हुई एक ऐसी चर्चा, जिसे सुनकर स्वयं ऋषि भी स्तब्ध रह गए।

हनुमान जी ने वेद, उपनिषद, संस्कृत व्याकरण, ज्योतिष, योग, धर्म, नीति और दर्शन पर इतनी गहरी बात की कि लव-कुश जैसे मेधावी बालक भी पराजित हो गए। हनुमान जी ने यह सिद्ध कर दिया कि शक्ति केवल एक पक्ष है, और ज्ञान उसका सर्वोत्तम रूप है। हालांकि, लव और कुश बालकों का आदर्श और साहस सराहनीय था, हनुमान जी ने उन्हें यह दिखाया कि जीवन में केवल बल ही नहीं, बुद्धि भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

इस शास्त्रार्थ के बाद, वाल्मीकि मुनि ने लव और कुश से उनके असली पिता की पहचान बताई और यह भी समझाया कि यह महान विद्वान हनुमान जी हैं, जो केवल राम के परम भक्त ही नहीं, बल्कि एक असाधारण पंडित भी हैं। इस प्रकार हनुमान जी ने केवल अपनी शक्ति से नहीं, बल्कि अपने गहन ज्ञान से भी सबको अभिभूत किया।

हनुमान जी की बुद्धिमत्ता का एक और उदाहरण:
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह केवल एक उदाहरण था? हनुमान जी ने अपने जीवन में और भी कई मौकों पर अपनी बुद्धि और ज्ञान से अद्भुत कार्य किए हैं, जहाँ उन्होंने अपनी शक्ति से ज्यादा स्मार्टनेस का इस्तेमाल किया।

1. संजीवनी बूटी लाना:
जब लक्ष्मण की हालत बुरी तरह से बिगड़ गई और राम की सेना में से कोई भी उन्हें जीवनदान देने के लिए सही औषधि नहीं ढूंढ पा रहा था, तब हनुमान जी ने अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं किया, बल्कि ज्ञान और चतुराई का उपयोग किया। उन्होंने हनुमान जी ने हिमालय पर्वत की ऊँचाईयों से संजीवनी बूटी ढूंढने के बजाय, पहाड़ ही उठा लिया और उसे पूरी सेना के पास लेकर आए। यह न केवल उनकी शक्ति का प्रमाण था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ज्ञान और समझदारी से समस्या का हल ज्यादा प्रभावी होता है।

2. अहिरावण का वध:
हनुमान जी ने पाताल लोक में महादेव के द्वारा भेजे गए अहिरावण को हराने के लिए भी शक्ति का प्रयोग नहीं किया। अहिरावण ने श्रीराम और लक्ष्मण को बंदी बना लिया था, और उन्हें मारने की योजना बनाई थी। हनुमान जी ने न केवल पाताल लोक के रहस्यों को समझा, बल्कि उन्होंने बुद्धिमत्ता का प्रयोग करते हुए पाँच दीपक जलाए और अहिरावण के माया जाल को पराजित किया। यह दिखाता है कि हनुमान जी ने अपनी बुद्धिमत्ता और तर्क का इस्तेमाल किया, न कि केवल अपनी शक्ति का।

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