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उत्तर प्रदेश में तंत्र की विफलता — एक शिष्य की पुकार को नज़रअंदाज़ किया गया, अब मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

दिनांक: 23 अप्रैल 2025
लेखक: संपादकीय डेस्क

जब उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और विविध राज्य की बात होती है, तो कानून व्यवस्था का विषय केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि जनता के भरोसे की नींव भी होता है। और जब जनता का एक सजग नागरिक, एक सच्चा शिष्य अपनी आवाज़ उठाता है, तो वह केवल अपने लिए नहीं, पूरे समाज के लिए उठाता है।

सत्यम् सिंह,  मानव व पशु अधिकार कार्यकर्ता, ने राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की व्यापक अवहेलना के विरुद्ध जो आवाज़ उठाई है, वह एक सामान्य शिकायत नहीं है — वह धर्म, संविधान और गुरु के प्रति निष्ठा का संगम है।

सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश: कोई विकल्प नहीं, केवल पालन अनिवार्य

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्देशों में स्पष्ट कहा है कि देश के प्रत्येक पुलिस थाने में CCTV कैमरे और 24×7 ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य है। यह केवल तकनीकी आदेश नहीं है, बल्कि न्यायिक पारदर्शिता और नागरिक सुरक्षा का मूल आधार है।

इन आदेशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी व्यक्ति के साथ पुलिस कस्टडी में अमानवीय व्यवहार, उत्पीड़न या अवैध पूछताछ न हो सके, और अगर हो तो उसके प्रमाण सुरक्षित रहें।

जब अधिकारी चुप रहे, तब एक शिष्य ने आवाज़ उठाई

सत्यम् सिंह ने पहले उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP), विधि सचिव, मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार पत्र लिखे। उन्होंने न किसी आंदोलन की धमकी दी, न ही सड़कों पर उतरने की बात की। उन्होंने सिर्फ एक शिष्य की भांति व्यवस्था को चेताया, कि यह लापरवाही योगी जी की मेहनत और तपस्या पर धब्बा बन सकती है।

“मैंने शांतिपूर्वक पत्र लिखे, बार-बार निवेदन किया। पर मुझे जवाब नहीं मिला। मेरे गुरु, योगी आदित्यनाथ जी ने इस राज्य को माफिया-राज से मुक्त किया। मैं कैसे चुप रहूं जब कुछ अधिकारी उनकी छवि पर आंच ला रहे हैं?”

यह संघर्ष व्यक्तिगत नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और संवैधानिक है

सत्यम् सिंह स्पष्ट कहते हैं कि यह किसी सरकार या मुख्यमंत्री के विरोध की लड़ाई नहीं है — यह योगी जी की नीति और प्रशासनिक आदर्शों को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने की लड़ाई है।

*”योगी जी मेरे लिए मुख्यमंत्री नहीं, मेरे संत और गुरु हैं। मैंने उनसे कभी किसी राजनीतिक विचारधारा के कारण नहीं जुड़ाव महसूस किया — मैंने उनसे जुड़ाव इसलिए महसूस किया क्योंकि उन्होंने साबित किया कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में भी *धर्म और कानून साथ-साथ चल सकते हैं।”

मानवाधिकार आयोग का हस्तक्षेप — व्यवस्था को जगाने की पहली दस्तक

जब वरिष्ठ अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया, तब सत्यम् सिंह ने मजबूरी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का रुख किया। आयोग ने तुरंत संज्ञान लेते हुए पुलिस अधीक्षक, प्रतापगढ़ को आदेश दिया कि वे मामले की जांच करें, वह भी शिकायतकर्ता की उपस्थिति में।

इस मामले में आयोग ने 21 मई 2025 तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और 22 मई को अगली सुनवाई तय की गई है।

हालांकि शिकायत में प्रतापगढ़ का नाम लिया गया है, पर सत्यम् सिंह बार-बार स्पष्ट करते हैं कि यह केवल एक जिले की समस्या नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में एक पैटर्न बन चुका प्रशासनिक ढीलापन है।

क्या होगा यदि लापरवाही जारी रही?

यदि फिर भी अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हैं, तो सत्यम् सिंह सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने के लिए बाध्य होंगे, जिसमें राज्य के DGP, विधि सचिव और मुख्य सचिव को भी शामिल किया जा सकता है।

“यह कोई धमकी नहीं है। यह मेरी गुरु भक्ति का हिस्सा है कि मैं अपने गुरु के नाम पर कोई आंच न आने दूं। जब नीचे के स्तर पर लापरवाही हो रही हो, तो चुप रहना भी अपराध है।”

योगी आदित्यनाथ: केवल मुख्यमंत्री नहीं, एक आदर्श शासनकर्ता

योगी जी के शासन ने उत्तर प्रदेश को वह स्वरूप दिया है जिसकी कल्पना कभी सिर्फ किताबों में होती थी। उन्होंने यह साबित किया कि धर्म और शासन एक साथ चल सकते हैं, जब इरादा पवित्र हो।

आज उत्तर प्रदेश को जो नई पहचान मिली है — माफियाराज से मुक्ति, कानून का राज, महिला सुरक्षा में सुधार, और तेजी से विकास — वो सब योगी जी की दूरदर्शिता का परिणाम है।

परंतु, अगर निचले स्तर पर लापरवाही, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी और जवाबदेही से बचने की प्रवृत्ति बढ़ेगी, तो यह उनके द्वारा रचे गए “मॉडल उत्तर प्रदेश” की आत्मा को आहत करेगा।

यह एक शिष्य की तपस्या है — और एक जागरूक नागरिक की ज़िम्मेदारी

यह ब्लॉग केवल एक शिकायत नहीं है — यह एक पुकार है, एक आध्यात्मिक आग्रह है, और एक संवैधानिक चेतावनी है।

“जब कोई संत शासन करता है, तो प्रजा का धर्म है कि वह उस शासन की पवित्रता बनाए रखने में योगदान दे। मेरी यही कोशिश है — कि योगी जी की बनाई व्यवस्था निष्कलंक बनी रहे।”

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